“श्रम विभाजन और जाति प्रथा    कक्षा 10 हिंदी (सारांश,जीवन परिचय  प्रश्न उत्तर, PDF)”

कक्षा 10 हिंदी पाठ 1 शीर्षक 'श्रम विभाजन और जाति प्रथा' की छवि, डॉ. बी. आर. अंबेडकर द्वारा लिखित एक निबंध, जिसमें उनके चित्र और मजदूरों के चित्र दिखाए गए हैं जो जाति-आधारित कार्य विभाजन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

"इस पोस्ट में आपको श्रम विभाजन और जाति प्रथा अध्याय का सारांश, शॉर्ट ट्रिक, लेखक का जीवन परिचय, शब्दार्थ, प्रश्न-उत्तर और PDF मिलेगा। यह Class 10th के छात्रों के लिए एक All-in-One समाधान है।"

👋 आपका स्वागत है!

आपका स्वागत है Chhoti 4 in 1 Classes ब्लॉग में। यहाँ बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी गद्यखण्ड पाठ 1 – “ श्रम विभाजन और जाति प्रथा ” को सरल भाषा, एनिमेशन, और प्रश्नोत्तरी वीडियो के माध्यम से समझाया गया है।


📌 इस ब्लॉग में क्या मिलेगा?

  • पाठ का सरल सारांश (Storytelling शैली में)
  • डॉ भीमराव अंबेदकर का जीवन परिचय (बिंदुवार + कहानी के रूप में)
  • शब्दार्थ और उन्हें याद रखने की ट्रिक
  • महत्वपूर्ण Subjective और Objective प्रश्न
  • PDF Download – जो सभी प्रकाशनों के प्रश्नों को कवर करता है

📚 इस ब्लॉग को पढ़ने से क्या लाभ होगा?

  • एक ही स्थान पर संपूर्ण समाधान
  • समझ के साथ सीखना, रटने की जरूरत नहीं
  • सभी प्रकाशनों (राज, भारती, विद्या, रचना) के प्रश्न शामिल
  • वीडियो क्विज़ से परीक्षा में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • समय की बचत और स्कोर पक्का होगा।

🤔 यह ब्लॉग क्यों बनाया गया?

आज भी कई छात्र हिंदी के पाठों को सिर्फ रटते हैं, समझते नहीं।
मैं चाहता हूँ कि बच्चा खुद से पढ़े, समझे और अभ्यास करे।
कोई ट्यूशन न लगे, कोई गाइड न हो — सिर्फ यह ब्लॉग ही काफ़ी हो।


🎯 अंत में...

" मैं चाहता हूँ कि बिना ट्यूशन, बिना गाइड – सिर्फ इस एक ब्लॉग से कोई भी छात्र आत्मविश्वास से बोले:हाँ, मुझे यह पाठ पूरी तरह समझ आ गया है!" – यही मेरा लक्ष्य है।

🤔“यह पाठ क्यों पढ़ना ज़रूरी है?”

"क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारा सपना तुम्हारा अपना है? सोचो, अगर तुम्हारा पेशा तुम्हारी योग्यता से नहीं, बल्कि तुम्हारी जाति से तय हो — तब कैसा लगेगा? यही सवाल उठाता है यह अध्याय, जो तुम्हें न सिर्फ सोचने पर मजबूर करेगा, बल्कि बदलाव का रास्ता भी दिखाएगा।

सारांश

आज भी हमारे समाज में जातिवाद की सोच मौजूद है, और बहुत से लोग इसके पोषक (समर्थक) बने हुए हैं।आज का आधुनिक समाज यह मानता है कि किसी भी काम में कुशलता ज़रूरी है, इसलिए हमें लोगों की योग्यता और रुचि को महत्व देना चाहिए।जाति प्रथा असल में श्रम विभाजन (काम का बँटवारा) नहीं, बल्कि भेदभाव का एक रूप है।यह प्रथा काम के साथ-साथ लोगों को ऊँच-नीच में भी बाँट देती है।भारतीय जाति प्रथा की विशेषता यह है कि यह जन्म के आधार पर पेशा तय कर देती है।इसमें किसी इंसान की रुचि, इच्छा या काबिलियत को नहीं देखा जाता।अगर समाज में हमें कुशल और मेहनती लोगों की ज़रूरत है, तो हमें उन्हें मौका और सम्मान देना चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति से हों।लेकिन जाति प्रथा का गलत सिद्धांत यह है कि एक बार जो काम मिला, वही जीवन भर करना पड़ेगा।इस विचारधारा में बच्चों का काम उनके माता-पिता की जाति से तय होता है, न कि उनके सपनों या योग्यता से।इससे इंसान को अपने जीवन भर के लिए एक ही काम से बाँध दिया जाता है, भले ही वह उस काम में अच्छा न हो।समय के अनुसार लोगों को अपना पेशा बदलने की ज़रूरत पड़ सकती है, और अगर ऐसा करने की आज़ादी नहीं दी गई तो वह बेरोज़गार या दुखी हो सकता है।हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था किसी व्यक्ति को अपनी पसंद से नया या अलग काम चुनने की इजाज़त नहीं देती।इसी कारण से भारत में बेरोज़गारी बढ़ती है, क्योंकि लोग अपनी योग्यता से नहीं, जाति से काम करने को मजबूर होते हैं।इसीलिए जाति प्रथा को आर्थिक रूप से भी नुकसानदायक कहा जाता है।लेखक के अनुसार एक आदर्श समाज वह है जहाँ सबको बराबरी मिले, सब अपनी रुचि से काम कर सकें, और कोई छोटा-बड़ा न हो।सच्चा भाईचारा दूध और पानी के मिश्रण के तरह होता है   जो इंसान को जाति नहीं, इंसानियत के आधार पर जोड़ता है।लेकिन लेखक बताते हैं कि विडंबना यह है कि कुछ लोग जातिवाद को सही मानते हैं और उसका बचाव करते हैं।वे कहते हैं कि यह श्रम विभाजन है, लेकिन लेखक मानते हैं कि यह कभी भी स्वाभाविक विभाजन नहीं है, क्योंकि इसमें रुचि और योग्यता की इज्जत नहीं है।इस प्रथा की वजह से कई लोग अपना सपना पूरा नहीं कर पाते, और यही बेरोजगारी का सीधा कारण बनता है।लेखक मानते हैं कि आज के कारखानों और उद्योगों में गरीबी और शोषण से भी बड़ी समस्या जातिवाद का भेदभाव है।इस पाठ में लेखक ने जाति प्रथा को गलत सिद्ध करने के लिए कई बातें कहीं:,यह व्यक्ति की स्वतंत्रता छीनती है,यह योग्यता की हत्या करती है,यह सामाजिक समानता को तोड़ती है,और देश की तरक्की में रुकावट बनती है अंत में लेखक कहते हैं कि अगर हमें सच्चा लोकतंत्र बनाना है, तो हमें हर व्यक्ति को बराबरी, स्वतंत्रता, और न्याय देना होगा – तभी समाज आगे बढ़ेगा।

सारांश और प्रश्न उत्तर याद करने के शॉट ट्रिक ​​

🎯 Trick नाम: "क. रु. जा. श. बा. आ. त. स. वि. लो."​

1. “क” – कुशलता ज़रूरी है

2. “रु” – रुचि नहीं देखी जाती

3. “जा” – जन्म से पेशा तय

4. “श” – शोषण और ऊँच-नीच

5. “बा” – बदलाव की आज़ादी नहीं

6. “आ” – आदर्श समाज की बात

7. “त” – तर्क और विडंबना

8. “स” – सपनों की हत्या

9. “वि” – वर्तमान समस्या

10. “लो” – लोकतंत्र की शर्त

नीचे दिए गए सभी प्रश्नों के उत्तर ऊपर दिए गए सारांश में छिपे हैं। यदि आपने ध्यान से पढ़ा है, तो आप इन्हें आसानी से हल कर सकते हैं।"​

पाठ से जुड़े प्रश्न ​

1. लेखक किस विडंबना की बात करते हैं ? विडंबना का स्वरूप क्या है ?
2. जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं ?
3. जातिवाद के पक्ष में दिए गए तक पर लेखक की प्रमुख आपत्तियाँ क्या हैं ?
4. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती
5. जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?
6. लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों ?
7. लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है ?
8. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है ?

सारांश से जुड़े वस्तुनिष्ठ (OBJECTIVE) प्रश्न​​

प्रश्न 1. यह किसकी बात है और इस युग में किसके पोषक की कमी नहीं है?
A) समानता
B) स्वतंत्रता
C) विडंबना
D) भ्रातृत्व
प्रश्न 2. समर्थक आधुनिक सभ्य समाज कार्य कुशलता के लिए किसे आवश्यक मान रहा है?
A) जाति प्रथा
B) तकनीकी विकास
C) श्रम-विभाजन
D) शिक्षा
प्रश्न 3. जाति प्रथा किसका दूसरा रूप है?
A) समता
B) सामाजिक न्याय
C) श्रम-विभाजन
D) आर्थिक विकास
प्रश्न 4. जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ और किसका रूप लिए हुए है?
A) पूंजी विभाजन
B) श्रमिक विभाजन
C) जातीय संघर्ष
D) भौगोलिक विभाजन
प्रश्न 5. भारत की जाति प्रथा की विशेषता क्या है?
A) स्वतंत्रता और समानता
B) अस्वाभाविक विभाजन और ऊँच-नीच
C) न्यायपूर्ण व्यवस्था
D) सामाजिक समरसता
प्रश्न 6. कौन मनुष्य के रुचि पर आधारित नहीं है?
A) श्रम का विभाजन
B) स्वतंत्र पेशा
C) निजी चुनाव
D) आधुनिक शिक्षा
प्रश्न 7. कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज के लिए हमें क्या करना होगा?
A) जाति प्रथा अपनानी होगी
B) परंपराओं का पालन करना होगा
C) स्वयं पेशा या कार्य का चुनाव कर सके
D) पूर्वजों के कार्य में लगे रहना होगा
प्रश्न 8. सक्षम श्रमिक के विपरीत जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत क्या है?
A) समान अवसर देना
B) योग्यता का सम्मान करना
C) किसी के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता जाने बिना पेशा निर्धारित करना
D) स्वतंत्र कार्य चुनने की छूट देना
प्रश्न 9. किस सिद्धांत में मनुष्य के रुचि और निजी क्षमता पर विचार किए बिना उसके माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार उसका पेशा निर्धारित कर दिया जाता है?
A) आधुनिक सिद्धांत
B) शिक्षा-सिद्धांत
C) जाति प्रथा सिद्धांत
D) समाजवाद सिद्धांत
प्रश्न 10. कौन मनुष्य को जीवन भर के लिए एक ही पेशे में बाँध कर रखती है?
A) शिक्षा प्रणाली
B) आधुनिक व्यवस्था
C) जाति प्रथा
D) लोकतंत्र
प्रश्न 11. किस कारण लोगों को अपना पेशा बदलने की जरूरत पड़ सकती है, और यदि इसकी स्वतंत्रता न हो तो क्या होगा?
A) अधिक कमाई के लिए
B) परिवार के दबाव में
C) अनुपयुक्त या अपर्याप्त पेशा और लोग भूखे मरेंगे
D) सामाजिक मान्यता पाने के लिए
प्रश्न 12. हिन्दू धर्म की जाति प्रथा किस प्रकार के पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती?
A) जो समाज को पसंद न हो
B) जिसमें लाभ न हो
C) जो पैतृक पेशा न हो
D) जो धार्मिक हो
प्रश्न 13. कौन भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण है?
A) जनसंख्या वृद्धि
B) अशिक्षा
C) जाति प्रथा
D) तकनीकी पिछड़ापन
प्रश्न 14. किसे आर्थिक पहलू से भी हानिकारक प्रथा कहा जाता है?
A) दहेज प्रथा
B) छुआछूत
C) जाति प्रथा
D) बाल-विवाह
प्रश्न 15. लेखक के अनुसार आदर्श समाज कैसा होना चाहिए?
A) जातियों पर आधारित
B) परंपराओं पर आधारित
C) स्वतंत्रता, समता, भ्रातृत्व पर आधारित
D) धर्म पर आधारित
प्रश्न 16. श्रम विभाजन को जाति प्रथा में किस प्रकार बदला गया?
A) आर्थिक आधार पर
B) धर्म आधारित व्यवस्था में
C) जन्म आधारित व्यवस्था में
D) शिक्षा आधारित वर्गीकरण में
प्रश्न 17. लेखक ने किसे कार्य कुशलता का दुश्मन कहा है?
A) तकनीकी पिछड़ापन
B) जाति प्रथा
C) शिक्षा की कमी
D) बेरोजगारी
प्रश्न 18. लेखक ने श्रमिक की कौन सी विशेषता पर ज़ोर दिया है?
A) श्रमिक की आय पर
B) श्रमिक की जाति पर
C) श्रमिक की क्षमता पर
D) श्रमिक की उम्र पर
प्रश्न 19. लेखक ने किसे ‘आर्थिक समस्या’ बताया है?
A) धार्मिक भेदभाव
B) जाति प्रथा
C) अशिक्षा
D) बेरोजगारी
प्रश्न 20. लेखक के अनुसार सबसे पहली आवश्यकता क्या है?
A) जाति प्रथा को बनाए रखना
B) समान अधिकार देना
C) श्रमिकों को प्रशिक्षण देना
D) जाति प्रथा को समाप्त करना
प्रश्न 21. लेखक ने किसे 'मानवता की दृष्टि से घृणित' कहा है?
A) जाति प्रथा
B) शिक्षा व्यवस्था
C) शासन प्रणाली
D) ग्रामीण जीवन
प्रश्न 22. लेखक के अनुसार हमें भारत में कैसी सामाजिक व्यवस्था बनानी चाहिए?
A) धार्मिक व्यवस्था
B) सामंती व्यवस्था
C) जाति विहीन सामाजिक व्यवस्था
D) कुलीन वर्गीय व्यवस्था
प्रश्न 23. लेखक के अनुसार जाति प्रथा किस प्रकार का अवरोध उत्पन्न करती है?
A) राजनीतिक विकास में
B) आर्थिक विकास में
C) तकनीकी उन्नति में
D) सामाजिक परिवर्तन में

डॉ.भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय

 संविधान निर्माता
भारत के संविधान के प्रमुख शिल्पका
संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष
1.पूरा नाम: डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर
2.जन्म: 14 अप्रैल 1891, 
3.जन्म-स्थान :-महू, मध्य प्रदेश
4.उपनाम :-बाबासाहेब अम्बेदकर 
5.पिता का नाम: रामजी सकपाल (ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार)
6.माता का नाम: भीमाबाई
7.जाति: महार (अस्पृश्य मानी जाने वाली जाति)
9.शिक्षा:
प्रारंभिक शिक्षा: 5 वी तक की पढ़ाई भारत में पूरी की फिर बड़ौदा नरेश के प्रोत्सहन पर 
उच्च शिक्षा के लिये :-एल्फिंस्टन कॉलेज, बॉम्बे से स्नातक
कोलंबिया विश्वविद्यालय(न्यूयार्क ), अमेरिका से एम.ए. और पीएच.डी.
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डी.एससी.
बार एट लॉ (लंदन से कानून की पढ़ाई)
10.मुख्य तीन प्रेरक व्यक्ति :-बुद्ध ,कबीर और ज्योतिबा फूले 
11.प्रमुख रचनाएं और भाषण :-
  • द कास्ट्स इन इंडिया: देयर मैकेनिज़्म,
  • जेनेसिस एंड डेवलपमेंट
  • द अनटचेबल्स: हू आर दे?
  • हू आर शूद्राज़?
  • बुद्धिज़्म एंड कम्युनिज़्म
  • बुद्धा एंड हिज धम्मा
  • थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स
  • द राइज़ एंड फॉल ऑफ द हिंदू वीमेन
  • एनीहिलेशन ऑफ कास्ट
12.सम्पूर्ण वाङ्ग्मय :-21 खंडों में प्रकशित हुआ 
13.विख्यात भाषण :-एनीहिलेशन ऑफ कास्ट (जिसका हिंदी में रूपांतर ललई सिंह यादव ने किया )
नोट :-यह भाषण जातीं -पाती तोड़क मंडल (लाहौर )के वार्षिक सम्मलेन सन (1936 )के अध्यक्षीय भाषण के रूप में तैयार किया गाया था 
14.समाज सुधारक:
छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ जीवनभर संघर्ष
दलितों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार दिलाने का प्रयास
15.राजनीति में योगदान:सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकार के पक्षधर”स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले कानून मंत्रीबहिष्कृत हितकारिणी सभा” और “समान नागरिक अधिकार” के लिए आंदोलन
16.दलित आंदोलन:
दलित बुद्धि‍जनों” को शिक्षित करने, संगठित करने और संघर्ष करने का आह्वान “मूकनायक” और “बहिष्कृत भारत” नामक पत्रिकाओं का प्रकाशन
17.धर्म परिवर्तन:14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया
18.सम्मान व उपाधियाँ:
19.भारतरत्न सम्मान: मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से सम्मानित
20.महान विचारक:महिलाओं के अधिकारों के समर्थक
21.मृत्यु: 6 दिसंबर 1956, दिल्ली
22.स्थायी स्मृति स्थल: चैत्यभूमि, दादर, मुंबई
 

डॉ.भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय की कहानी

14 अप्रैल 1891 का दिन भारत के इतिहास में एक क्रांति की आहट लेकर आया था। मध्य प्रदेश के महू छावनी में एक ऐसे बालक का जन्म हुआ, जिसने आने वाले समय में भारत का संविधान रचा, और करोड़ों दलितों, वंचितों और शोषितों के लिए आशा की किरण बना। उसका नाम था – भीमराव रामजी अंबेडकर, जिन्हें पूरा देश “बाबासाहेब अंबेडकर” के नाम से जानता है।उनके पिता रामजी सकपाल ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे और माँ भीमाबाई एक सरल और धर्मपरायण महिला थीं। लेकिन उनका परिवार ‘महार’ जाति से था, जिसे उस समय समाज में अस्पृश्य माना जाता था। इस भेदभाव और अपमान को उन्होंने बचपन से झेला, लेकिन यही पीड़ा आगे चलकर उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य बन गई – समानता और न्याय का निर्माण।भीमराव अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई और उन्होंने पाँचवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की। वे बचपन से ही बेहद मेधावी थे। उनकी प्रतिभा को देखकर बड़ौदा राज्य के राजा ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया। आगे चलकर उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज, बॉम्बे से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय गए, जहाँ से उन्होंने एम.ए. और पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उन्होंने डी.एससी. और साथ ही लंदन में “बार-एट-लॉ” की उपाधि भी प्राप्त की।डॉ. अंबेडकर के जीवन को बुद्ध, कबीर और ज्योतिबा फुले जैसे महापुरुषों की शिक्षाओं ने गहराई से प्रभावित किया। वे सामाजिक भेदभाव को जड़ से मिटाना चाहते थे। उन्होंने हमेशा छुआछूत, जातिवाद और सामाजिक विषमता के विरुद्ध आवाज़ उठाई। उन्होंने दलितों को शिक्षित करने, संगठित करने और संघर्ष करने का आह्वान दिया और जीवनभर इसी लक्ष्य के लिए कार्य किया।अपने विचारों और लेखनी के ज़रिए उन्होंने समाज को झकझोर कर रख दिया। उनकी प्रमुख रचनाएँ थीं ‘द कास्ट्स इन इंडिया’, ‘द अनटचेबल्स’, ‘हू आर शूद्राज?’, ‘बुद्धा एंड हिज धम्मा’, ‘थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स’, ‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’, ‘बुद्धिज़्म एंड कम्युनिज़्म’, ‘द राइज़ एंड फॉल ऑफ हिंदू वीमेन’ आदि।इन रचनाओं में उन्होंने भारतीय समाज की गहरी बुराइयों को उजागर किया और समाधान भी सुझाया। उनका सम्पूर्ण लेखन 21 खंडों में प्रकाशित हुआ, जिसे “डॉ. अंबेडकर वाङ्मय” के नाम से जाना जाता है।1936 में, उन्होंने “जाती-पाती तोड़क मंडल” के लाहौर सम्मेलन के लिए ‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’ नामक ऐतिहासिक भाषण लिखा। हालांकि यह भाषण वहां पढ़ा नहीं जा सका, लेकिन इसकी गूंज आज भी सुनाई देती है। इस भाषण का हिंदी रूपांतरण ललई सिंह यादव ने किया।डॉ. अंबेडकर ने समाज सुधार के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने “बहिष्कृत हितकारिणी सभा” की स्थापना की और “समान नागरिक अधिकार” के लिए आंदोलन चलाया। उन्होंने “मूकनायक” और “बहिष्कृत भारत” नामक पत्रिकाएं भी प्रकाशित कीं, जो दलित जागरण का साधन बनीं।भारत की स्वतंत्रता के बाद, जब देश को एक नया संविधान चाहिए था, तो उन्हें संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने भारत के संविधान के शिल्पकार के रूप में दिन-रात काम किया। यही कारण है कि आज उन्हें “भारतीय संविधान के जनक” के रूप में याद किया जाता है। वे भारत के पहले कानून मंत्री भी बने।उनकी दृष्टि केवल सामाजिक सुधार तक सीमित नहीं थी। उन्होंने महिलाओं के अधिकार, समानता, शिक्षा, और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर भी खुलकर लिखा और बोला। वे सचमुच एक महान विचारक और मानवतावादी थे।14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया। उनका मानना था कि बौद्ध धर्म समानता और करुणा का रास्ता दिखाता है।6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया, लेकिन वे केवल शरीर से गए, विचारों से आज भी जीवित हैं। उनकी स्मृति में मुंबई के दादर में ‘चैत्यभूमि’ नामक स्थल बना है, जहाँ हर वर्ष लाखों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने आते हैं।उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे आज भी सामाजिक न्याय, समानता और संविधान के सबसे मजबूत स्तंभ माने जाते हैं।डॉ. अंबेडकर की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की प्रेरणा की कहानी है।वे एक मिसाल हैं — कि यदि संकल्प सच्चा हो, तो कोई भी परिस्थिति इंसान को रोक नहीं सकती।

डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन परिचय से जुड़ वस्तुनिष्ठ(OBJECTIVE) प्रश्न

1. संविधान निर्माता के रूप में कौन जाने जाते हैं?
A) महात्मा गांधी
B) जवाहरलाल नेहरू
C) डॉ भीमराव अम्बेदकर
D) सरदार पटेल
2. डॉ भीमराव अम्बेदकर का पूरा नाम क्या है?
A) भीमराव रामजी अम्बेदकर
B) भीमराव बाबासाहेब अम्बेदकर
C) भीमराव महात्मा अम्बेदकर
D) भीमराव जगजीवन अम्बेदकर
3. डॉ अम्बेदकर का जन्म कब हुआ?
A) 14 अप्रैल 1891
B) 15 अगस्त 1891
C) 26 जनवरी 1891
D) 2 अक्टूबर 1891
4. डॉ अम्बेदकर का जन्म स्थान कहाँ है?
A) महू, मध्यप्रदेश
B) मुंबई, महाराष्ट्र
C) नई दिल्ली
D) लखनऊ, उत्तरप्रदेश
5. डॉ अम्बेदकर का उपनाम क्या है?
A) बाबा साहेब अम्बेदकर
B) पंडित अम्बेदकर
C) महात्मा अम्बेदकर
D) डॉ साब अम्बेदकर
6. डॉ अम्बेदकर के पिताजी का नाम क्या था?
A) रामजी सकपाल
B) भीमासाहेब सकपाल
C) बालाजी सकपाल
D) जगजीवन सकपाल
7. डॉ अम्बेदकर की माता का नाम क्या था?
A) भीमाबाई
B) लक्ष्मीबाई
C) सविताबाई
D) गीता बाई
8. अम्बेदकर जी किस जाति के थे?
A) महर
B) ब्राह्मण
C) क्षत्रिय
D) वैश्य
9. डॉ अम्बेदकर की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ पूरी हुई?
A) भारत में
B) इंग्लैंड में
C) अमेरिका में
D) फ्रांस में
10. उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए अम्बेदकर जी कहाँ गए?
A) न्यूयॉर्क (अमेरिका)
B) लंदन (इंग्लैंड)
C) पेरिस (फ्रांस)
D) टोक्यो (जापान)
11. अम्बेदकर जी के तीन मुख्य प्रेरक कौन थे?
A) बुद्ध, कबीर, ज्योतिबा फुले
B) गांधी, नेहरू, पटेल
C) टैगोर, तुलसीदास, सूरदास
D) स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, रवींद्रनाथ टैगोर
12. 'द कास्ट इन इंडिया - देयर मैकेनिज्म' के लेखक कौन हैं?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) जवाहरलाल नेहरू
C) महात्मा गांधी
D) बाल गंगाधर तिलक
13. 'हू आर शुद्राज' के लेखक कौन हैं?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) रवींद्रनाथ टैगोर
C) बाल गंगाधर तिलक
D) सरोजिनी नायडू
14. 'एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट' के लेखक कौन हैं?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) जवाहरलाल नेहरू
C) महात्मा गांधी
D) सुभाष चंद्र बोस
15. अम्बेदकर जी का सम्पूर्ण वाङ्मय कितने खंडों में प्रकाशित हुआ?
A) 21 खंडों में
B) 15 खंडों में
C) 10 खंडों में
D) 30 खंडों में
16. अम्बेदकर जी का विख्यात भाषण कौन सा है?
A) एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट
B) स्वतंत्रता दिवस भाषण
C) संविधान सभा भाषण
D) सामाजिक सुधार भाषण
17. अम्बेदकर जी के 'एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट' भाषण का हिंदी में रूपांतरण किसने किया?
A) ललई सिंह यादव
B) महात्मा गांधी
C) जवाहरलाल नेहरू
D) पंडित नेहरू
18. स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले कानून मंत्री कौन थे?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) जवाहरलाल नेहरू
C) सरदार पटेल
D) सुभाष चंद्र बोस
19. अम्बेदकर जी ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में किस धर्म का परिवर्तन किया?
A) बौद्ध धर्म
B) हिंदू धर्म
C) इस्लाम धर्म
D) ईसाई धर्म
20. अम्बेदकर जी को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
A) भारत रत्न
B) पद्मश्री
C) पद्मभूषण
D) ज्ञानपीठ पुरस्कार
21. अम्बेदकर जी को भारत रत्न कब दिया गया?
A) 1990 में
B) 1956 में
C) 1947 में
D) 2000 में
22. अम्बेदकर जी का निधन कब हुआ?
A) 6 दिसम्बर 1956
B) 15 अगस्त 1947
C) 26 जनवरी 1950
D) 14 अप्रैल 1960
23. भीमराव अम्बेदकर जी की मृत्यु स्थायी स्मृति स्थल कहाँ है?
A) चैत्यभूमि, दादर, मुंबई
B) राजघाट, दिल्ली
C) अंबेडकर नगर, महाराष्ट्र
D) विहार, मुंबई
24. छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष कर दलितों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार दिलाने का प्रयास किसने किया?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) महात्मा गांधी
C) जवाहरलाल नेहरू
D) बाल गंगाधर तिलक
25. जाति-पांति तोरक मंडल भाषण लाहौर में कब हुआ?
A) 1936
B) 1947
C) 1920
D) 1950
26. किसके प्रोत्साहन पर बाबा साहेब उच्चतर शिक्षा के लिए न्यूयॉर्क गए?
A) बड़ौदा नरेश
B) महाराजा सवाई
C) ब्रिटिश सरकार
D) ब्रिटिश रानी
27. अम्बेदकर जी ने किस पत्रिका का सम्पादन किया?
A) बहिष्कृत भारत
B) हिन्दू महासभा
C) भारत जागरण
D) दलित आन्दोलन
28. अम्बेदकर जी का जन्म किस परिवार में हुआ?
A) दलित परिवार
B) ब्राह्मण परिवार
C) क्षत्रिय परिवार
D) वैश्य परिवार
29. 'बुद्धिज्म एंड कम्युनिज्म' की रचना किसने की?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) जवाहरलाल नेहरू
C) महात्मा गांधी
D) सुभाष चंद्र बोस
30. मानव मुक्ति के पुरोधा किसे कहा गया है?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) महात्मा गांधी
C) जवाहरलाल नेहरू
D) सुभाष चंद्र बोस
31. किसे 'आधुनिक मनु' कहा गया है?
A) भीमराव अम्बेदकर
B) महात्मा गांधी
C) जवाहरलाल नेहरू
D) सरदार पटेल
32. इन्होंने बार एट लॉ की पढ़ाई कहाँ से पूरी की?
A) लंदन से
B) न्यूयॉर्क से
C) पेरिस से
D) मुंबई से

➤शब्द निधि/शब्दार्थ

विडंबना : उपहास
पोषक :समर्थक, पालक, पालनेवाला

छात्रों द्वारा पूछे जाने वाले संभावित प्रश्न:​​​

प्रश्न: लेखक भीमराव अंबेडकर की दृष्टि में आदर्श समाज क्या है?

लेखक डॉ. भीमराव अंबेडकर की दृष्टि में आदर्श समाज वह होता है जहाँ हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार मिले, सब अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार कार्य कर सकें और किसी को भी जाति या जन्म के आधार पर नीचा न समझा जाए। लेखक मानते हैं कि ऐसा समाज सच्चे लोकतंत्र का प्रतीक होगा, जहाँ इंसानियत को महत्व मिलेगा और सभी को न्याय, स्वतंत्रता और समानता प्राप्त होगी।

प्रश्न: लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे कहते हैं और क्यों?

लेखक के अनुसार, आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या जातिवाद का भेदभाव है। क्योंकि यह प्रणाली लोगों को उनकी जाति के आधार पर कार्य करने को बाध्य करती है और उन्हें उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार काम करने की आज़ादी नहीं देती। इससे न केवल व्यक्ति का विकास रुकता है, बल्कि समाज भी पिछड़ता है और बेरोजगारी जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।

प्रश्न: कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए क्या आवश्यक है?

एक कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि लोगों को उनकी योग्यता, रुचि और मेहनत के आधार पर काम करने का अवसर और सम्मान मिले। जाति के आधार पर कार्य बाँटने की बजाय, योग्यता और इच्छा को महत्व देना चाहिए। तभी समाज में कुशल और समर्पित श्रमिक तैयार होंगे, जो देश के विकास में योगदान दे सकें।

प्रश्न: जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत क्या था?

जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत यह था कि जो काम एक बार किसी व्यक्ति को मिल गया, वह जीवन भर वही करता रहेगा। इसके अनुसार बच्चों का पेशा उनके माता-पिता की जाति के अनुसार तय होता है, न कि उनकी योग्यता, रुचि या सपनों के अनुसार। यह सिद्धांत व्यक्ति की स्वतंत्रता छीन लेता है और उसे एक ही कार्य में बाँध देता है, चाहे वह उसमें सक्षम हो या नहीं।

प्रश्न: भारत में जाति प्रथा का प्रमुख कारण क्या है?

भारत में जाति प्रथा का प्रमुख कारण यह है कि यह सामाजिक व्यवस्था जन्म पर आधारित है। इसमें यह मान लिया गया कि किसी व्यक्ति का कार्य उसके जन्म के साथ ही तय हो गया है। इससे इंसान की रुचि, काबिलियत और सपनों की उपेक्षा होती है, और लोग केवल अपनी जाति के अनुसार कार्य करने को बाध्य हो जाते हैं, जिससे समाज में असमानता और बेरोजगारी बढ़ती है।

प्रश्न: लेखक के अनुसार आदर्श समाज के लिए क्या अपेक्षित है?

लेखक के अनुसार आदर्श समाज के लिए यह अपेक्षित है कि हर व्यक्ति को स्वतंत्रता, समानता और न्याय मिले। समाज में सभी को उनकी योग्यता और रुचि के आधार पर कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए। किसी को भी जन्म, जाति या वर्ग के आधार पर छोटा-बड़ा नहीं समझा जाना चाहिए। सच्चे भाईचारे और इंसानियत की भावना पर आधारित समाज ही आदर्श हो सकता है।

पाठ से जुड़े प्रश्नों का उत्तर ​

प्रश्न: लेखक किस विडंबना की बात करते हैं ? विडंबना का स्वरूप क्या है ?

लेखक उस विडंबना की ओर ध्यान दिलाते हैं कि आज भी कुछ लोग जातिवाद का समर्थन करते हैं और उसे श्रम विभाजन के रूप में सही ठहराते हैं। विडंबना यह है कि वे लोग इसे एक सामाजिक व्यवस्था मानते हैं, जबकि वास्तव में यह लोगों की योग्यता, रुचि और स्वतंत्रता का दमन करती है। लेखक इसे एक भेदभावपूर्ण प्रथा मानते हैं जो समाज में समानता और विकास को रोकती है।

प्रश्न: जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं ?

जातिवाद के पोषक इसे श्रम विभाजन की एक स्वाभाविक सामाजिक व्यवस्था मानते हैं। उनका तर्क होता है कि इससे समाज में कार्यों का बँटवारा सुनिश्चित होता है और हर व्यक्ति को अपना स्थान पता होता है। वे यह भी मानते हैं कि इससे समाज में स्थिरता बनी रहती है।

प्रश्न: जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्क पर लेखक की प्रमुख आपत्तियाँ क्या हैं ?

लेखक जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्कों से असहमत हैं क्योंकि यह व्यवस्था व्यक्ति की रुचि, योग्यता और स्वतंत्रता की उपेक्षा करती है। लेखक का मानना है कि यह कोई स्वाभाविक श्रम विभाजन नहीं है बल्कि जन्म आधारित भेदभाव है। यह प्रथा व्यक्ति को एक ही कार्य में जीवन भर बाँध देती है, जिससे उसके सपने और संभावनाएँ दमित हो जाती हैं।

प्रश्न: जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती?

जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप नहीं कही जा सकती क्योंकि यह जन्म पर आधारित है, न कि व्यक्ति की रुचि या योग्यता पर। इसमें इंसान को अपने माता-पिता के पेशे को अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है, चाहे वह उसमें कुशल हो या नहीं। यह एक जबरन थोपा गया विभाजन है जिसमें स्वतंत्रता की कोई जगह नहीं है।

प्रश्न: जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?

जातिप्रथा के कारण भारत में लोग अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार कार्य नहीं कर पाते। वे उस कार्य तक सीमित रह जाते हैं जो उनकी जाति के अनुसार तय होता है। इससे जो लोग किसी अन्य क्षेत्र में कुशल हैं, उन्हें अवसर नहीं मिल पाता और वे बेरोजगार रह जाते हैं। इसलिए यह प्रथा बेरोजगारी को बढ़ावा देती है।

प्रश्न: लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों ?

लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या जातिवाद को मानते हैं। उनके अनुसार जातिवाद लोगों की योग्यता और इच्छाओं को दबा देता है और उन्हें एक निश्चित काम में बाँध देता है। इससे न केवल व्यक्ति का विकास रुकता है बल्कि समाज भी प्रगति नहीं कर पाता।

प्रश्न: लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है ?

लेखक ने जाति प्रथा को हानिकारक बताते हुए कहा है कि यह व्यक्ति की स्वतंत्रता छीनती है, योग्यता की हत्या करती है, सामाजिक समानता को तोड़ती है और देश की आर्थिक प्रगति में बाधा बनती है। यह प्रथा लोगों को उनकी जाति के अनुसार काम करने के लिए मजबूर करती है और उन्हें उनकी इच्छाओं और कौशल के अनुसार कार्य चुनने से रोकती है।

प्रश्न: सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है ?

लेखक का मानना है कि सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय का होना आवश्यक है। हर व्यक्ति को उसकी योग्यता और रुचि के अनुसार काम करने का अवसर मिलना चाहिए। समाज में किसी को भी उसकी जाति, धर्म या जन्म के आधार पर छोटा-बड़ा नहीं समझना चाहिए। तभी एक सच्चा लोकतांत्रिक और समतामूलक समाज बन सकता है।

📘 Class 10 Hindi - Chapter 1

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