“बातचीत – कक्षा 12th  हिंदी (सारांश,जीवन परिचय  प्रश्न उत्तर, PDF)”

कक्षा 12 की हिंदी पुस्तक का पाठ 1 'बातचीत', जो एक निबंध है और जिसे बालकृष्ण भट्ट ने लिखा है। छवि में लेखक का चित्र, बातचीत करते लोग, और 'गद्य-खंड' का उल्लेख है। पृष्ठभूमि नारंगी रंग की है।

इस पोस्ट में आपको बातचीत अध्याय का सारांश, शॉर्ट ट्रिक, लेखक का जीवन परिचय, शब्दार्थ, प्रश्न-उत्तर और PDF मिलेगा। यह Class 12th के छात्रों के लिए एक All-in-One समाधान

👋 आपका स्वागत है!

आपका स्वागत है Chhoti 4 in 1 Classes ब्लॉग में। यहाँ बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी गद्यखण्ड पाठ 1 – “बातचीत ” को सरल भाषा, एनिमेशन, और प्रश्नोत्तरी वीडियो के माध्यम से समझाया गया है।


📌 इस ब्लॉग में क्या मिलेगा?

  • पाठ का सरल सारांश (Storytelling शैली में)
  • बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय (बिंदुवार + कहानी के रूप में)
  • शब्दार्थ और उन्हें याद रखने की ट्रिक
  • महत्वपूर्ण Subjective और Objective प्रश्न
  • PDF Download – जो सभी प्रकाशनों के प्रश्नों को कवर करता है

📚 इस ब्लॉग को पढ़ने से क्या लाभ होगा?

  • एक ही स्थान पर संपूर्ण समाधान
  • समझ के साथ सीखना, रटने की जरूरत नहीं
  • सभी प्रकाशनों (राज, भारती, विद्या, रचना) के प्रश्न शामिल
  • वीडियो क्विज़ से परीक्षा में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • समय की बचत और स्कोर पक्का होगा।

🤔 यह ब्लॉग क्यों बनाया गया?

आज भी कई छात्र हिंदी के पाठों को सिर्फ रटते हैं, समझते नहीं।
मैं चाहता हूँ कि बच्चा खुद से पढ़े, समझे और अभ्यास करे।
कोई ट्यूशन न लगे, कोई गाइड न हो — सिर्फ यह ब्लॉग ही काफ़ी हो।


🎯 अंत में...

" मैं चाहता हूँ कि बिना ट्यूशन, बिना गाइड – सिर्फ इस एक ब्लॉग से कोई भी छात्र आत्मविश्वास से बोले:हाँ, मुझे यह पाठ पूरी तरह समझ आ गया है!" – यही मेरा लक्ष्य है।

🤔“यह पाठ क्यों पढ़ना ज़रूरी है?”

"कभी सोचा अगर आप बोल ही न पाते तो क्या होता ? यह पाठ बताता है कि बातचीत सिर्फ शब्द नहीं, हमारी सबसे बड़ी ताकत है। सही तरीके से बोलना रिश्ते बनाता है, पहचान दिलाता है। बातचीत हमें अकेलेपन से बचाती है और मन का बोझ हल्का करती है। यही कला है जो हमें भीड़ से अलग बनाती है। 👉 अगर आप चाहते हैं कि लोग आपकी बात समझें और आपकी इज़्ज़त करें — तो यह पाठ ज़रूर पढ़ें।

सारांश

भगवान ने इंसान को बहुत सारी खूबियाँ दी हैं, लेकिन बोलने की ताकत (वाक्शक्ति) सबसे खास है। सोचिए, अगर हम बोल ही न पाते तो क्या होता? हमारी स्थिति बिल्कुल पशुओं जैसी हो जाती — हमें लुंज-पुंज हालत में एक कोने में बिठा दिया जाता और हम अपने मन की कोई भी बात किसी से कह नहीं पाते। सब कुछ मन में ही दबा रह जाता, और पूरी दुनिया जैसे गूंगी बन जाती।

वाक्शक्ति के दो रूप होते हैं —

  1. एक है औपचारिक वक्तृता (स्पीच), जिसका उद्देश्य सामने वालों के मन में जोश और उत्साह भरना होता है। इसमें करतलध्वनि यानी तालियों की अपेक्षा होती है।

  2. दूसरा है सहज बातचीत (संलाप), जो घर-परिवार या दोस्तों के बीच होती है। यह मन का बोझ हल्का करने का तरीका है, जिससे लोग अपने मन की भरी हुई बातें या भावनाएँ बाहर निकालते हैं।

लेखक कहते हैं कि जैसे खाना, पीना, चलना-फिरना ज़रूरी होता है, वैसे ही बातचीत करना भी इंसान के लिए जरूरी है। यही कारण है कि बातचीत के सामने स्पीच की गंभीरता कई बार फीकी लगती है।

रॉबिन्सन क्रूसो की कहानी इसका अच्छा उदाहरण है — जिसने 16 वर्षों तक किसी इंसान की आवाज़ नहीं सुनी थी। जब उसने पहली बार किसी मनुष्य (फ्राइडे) की आवाज़ सुनी, तो उसे लगा जैसे वह फिर से इंसान बन गया हो।

बातचीत को लेकर कई विचारकों के मत भी आए हैं —

  • एडिसन के अनुसार, असली बातचीत सिर्फ दो लोगों के बीच ही हो सकती है। अगर तीसरा आ जाए तो बातचीत खत्म होकर मज़ाक या अनगंभीर बातें शुरू हो जाती हैं। और अगर चार लोग हो जाएँ, तो वह बातचीत ‘राम रमौवल’ बन जाती है (अर्थात बेमतलब की बातें)।

  • वहीं बेन जॉनसन कहते हैं कि जब तक इंसान बोलता नहीं, तब तक उसके गुण-दोष का पता नहीं चलता। चाहे हम पत्रों में कुछ भी लिख लें, लेकिन असली पहचान बोलने से होती है।

भारत में बातचीत के कई रूप दिखाई देते हैं —

  • बुजुर्ग लोग पुराने जमाने की बातें करते हैं और शिकायतें करते हैं।

  • दादियाँ-नानियाँ अपनी बहुओं की शिकायतें करती हैं।

  • लड़कियाँ अपनी सहेलियों से दिल की बातें करती हैं।

  • लड़के खेल-कूद और अपनी शान की बातें करते हैं।

  • विद्यार्थी अपने नंबर, ज्ञान या टीचर्स के बारे में चर्चा करते हैं।

  • तेज विद्यार्थी दूसरों को कुछ नहीं समझते।

  • जबकि सीधे-साधे विद्यार्थी हर किसी को अपना गुरु मान लेते हैं।

यूरोप के लोग बातचीत को एक कला (Art of Conversation) मानते हैं।
वहाँ की बातचीत समझदारी, तर्क और सच्चाई के इर्द-गिर्द घूमती है। सुधगोष्ठी का उदाहरण लेखक ने दिया है — जहाँ कोई भी जब बोलता, तो उसकी बातों में तर्क होता, गहराई होती और वह दूसरों को ध्यान से सुनता था। वह बहस करने के बजाय सच्चाई तक पहुँचने की कोशिश करता था।

अंत में लेखक बातचीत का सबसे उत्तम तरीका बताते हैं।
उनका मानना है कि हमारी भीतरी मनोवृत्ति हर समय बदलती रहती है और हमारी जिह्वा उसी के अनुसार बिना रुके चलती रहती है। यदि हमने इस पर नियंत्रण न रखा तो यह जीभ हमें दुश्मन भी बना सकती है। लेकिन यदि हमने इसे काबू में कर लिया तो हम गुस्से वाले शत्रु को भी जीत सकते हैं।

लेखक कहते हैं कि बातचीत के लिए दो व्यक्ति चाहिए। अगर दूसरा व्यक्ति बात करने को इच्छुक न हो, और फिर भी हम बात करने पर ज़ोर दें, तो यह गलत होगा। इसलिए हमें ऐसी वाक्शक्ति विकसित करनी चाहिए कि हमारा मन अपने आप से बातचीत कर सके — और यही इस निबंध की विशेषता है।

सारांश और प्रश्न उत्तर याद करने के शॉट ट्रिक

🎯 Trick नाम: "वा. बा. रॉ. ए. भा. ते. सु. म. आ. सा."

(जैसे कहानी की सीढ़ियाँ: वाक्शक्ति → बातचीत → रॉबिन्सन → एडिसन → भारत → तेज़-धीमे छात्र → सुधगोष्ठी → मन → आत्मसंवाद → सार)

1. “वा” – वाक्शक्ति नहीं होती तो क्या होता 
2. “बा” – बातचीत क्यों  जरूरी है

3. “रॉ” – रॉबिन्सन क्रूसो की कहानी 

4. “ए” – एडिसन और बेन जॉनसन के विचार

5. “भा” – भारत में बातचीत के रंग

6. “ते” – तेज और सीधे छात्र

7. “सु” – सुधगोष्ठी की शैली

8. “म” – मन और वाणी का संबंध

9. “आ” – आत्मसंवाद की ताकत

10. “सा” – सार यही है

नीचे दिए गए सभी प्रश्नों के उत्तर ऊपर दिए गए सारांश में छिपे हैं। यदि आपने ध्यान से पढ़ा है, तो आप इन्हें आसानी से हल कर सकते हैं।"

पाठ से जुड़े प्रश्न

1.अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता ?
2.बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडीसन के क्या विचार हैं 
3.’आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ क्या है ?
4.मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है ? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है ?
5 (क) व्याख्या करें — “हमारी भीतरी मनोवृत्ति प्रतिक्षण नए-नए रंग दिखाया करती है…
  (ख)व्याख्या करें — “सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट                                          नहीं होता।
6.इस निबंध की क्या विशेषताएँ हैं 
7.स्पीच वक्तृता और बातचीत में क्या अंतर है ?
8.लेखक ने बातचीत में स्पीच की संजीदगी को बेकदर धक्के खाते फिरती है क्यों कहा ?
 9.लेखक के अनुसार हमें बातचीत की आवश्यकता क्यों है ?
10. रॉबिन्सन क्रूसा कौन था ?
11.बातचीत के विषय में बेन जॉनसन के मत क्या थे ?
12.’रामरमौवल’ किसे कहा गया ?

सारांश से जुड़े वस्तुनिष्ठ (OBJECTIVE) प्रश्न

1. बातचीत के रचनाकार कौन है
A) रामविलास शर्मा
B) हजारीप्रसाद द्विवेदी
C) बालकृष्ण भट्ट
D) भारतेंदु हरिश्चंद्र
2. मनुष्य में ईश्वर प्रदत्त शक्तियों में एक है
A) दौड़ने की शक्ति
B) वाक्शक्ति
C) कल्पना शक्ति
D) विचार शक्ति
3. रॉबिन्सन क्रूसो कितने वर्षों के बाद इंसान के मुख से आवाज सुनी
A) 12 वर्ष
B) 14 वर्ष
C) 16 वर्ष
D) 18 वर्ष
4. रॉबिन्सन क्रूसो पहली बार किस मनुष्य के मुख से आवाज सुनी थी
A) फ्राइडे
B) विलियम
C) जॉन
D) जॉर्ज
5. एडिसन के अनुसार असल बातचीत कितने लोगों के बीच हो सकती है
A) 2
B) 3
C) 4
D) 5
6. एडिसन के अनुसार चार लोगों की बातचीत क्या बन जाती है
A) राम रमौवल
B) चार चाँद
C) मजेदार गपशप
D) तकरार
7. हमारी भीतरी मनोवृत्तियाँ क्या दिखलाती हैं
A) निराशा
B) नए-नए रंग
C) उदासीनता
D) शांति
8. जिह्वा को क्या माना गया है
A) तलवार
B) कतरनी
C) हथियार
D) कंघी
9. प्रपंचात्मक संसार का आइना किसे माना गया है
A) भीतरी मनोवृत्ति
B) बाहरी व्यवहार
C) सामाजिक संबंध
D) भाषा
10. बोलने से ही मनुष्य का साक्षात्कार होता है यह किसका कथन है
A) बेन जॉनसन
B) एडिसन
C) बालकृष्ण भट्ट
D) रामविलास शर्मा
11. बातचीत पथ किस प्रकार का निबंध है
A) वर्णनात्मक
B) ललित
C) तात्विक
D) समीक्षा
12. क्रोध को काबू करने के लिए हमें किसे काबू करना है
A) मन
B) जिह्वा
C) आंखें
D) कान
13. मनुष्य के रूप का साक्षात्कार कब होता है
A) सोचने से
B) बोलने से
C) सुनने से
D) लिखने से
14. हमारे मन में जो कुछ भी मवाद या धुँआ जमा रहता है वह भाप बनके कैसे निकल पाता है
A) सोच के
B) बोलने से
C) बातचीत के जरिये
D) ध्यान से
15. किन देशों के लोगों में बातचीत करने का हुनर है
A) एशिया
B) यूरोप
C) अफ्रीका
D) अमेरिका
16. क्रोध को क्या माना गया है
A) मित्र
B) शत्रु
C) आक्रमण
D) भावना
17. आर्ट ऑफ कनवरसेशन कहाँ के लोगों में सर्वाधिक प्रचलित है
A) भारत
B) यूरोप
C) अमेरिका
D) अफ्रीका
18. किसके ना होने से सृष्टि गूंगी प्रतीत होती है
A) विचार शक्ति
B) कल्पना शक्ति
C) वाक्शक्ति
D) दृष्टि शक्ति
19. बातचीत से मन किस प्रकार का हो जाता है
A) भारी और क्लिष्ट
B) हल्का और स्वच्छ
C) उदास और चिंतित
D) अशांत और बेचैन
20. बातचीत का उत्तम तरीका क्या है
A) चुप रहना
B) तेज बोलना
C) अवाक होकर अपने से बात करना
D) जोर से हँसना
21. बातचीत किस विद्या की रचना है
A) विज्ञान
B) निबंध
C) कला
D) संगीत

बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय

पूरा नाम :- बालकृष्ण भट्ट।
जन्म :- 23 जून 1844।
निवास स्थान :- इलाहबाद, उत्तरप्रदेश।
पिता :- बेनी प्रसाद भट्ट (व्यापारी)।
माता :- पार्वती देवी (सुसंस्कृत महिला)।
भाषा :- हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी।
पेशा :- पत्रकार, नाटककार, उपन्यासकार, निबंधकार आदि।
युग :- भारतेन्दु युग।
शिक्षा :-
(1) प्रारंभ में संस्कृत का अध्ययन।
(2) 1867 में प्रयाग के मिशन स्कूल से एंट्रेस की परीक्षा दी।
वृति :-
(1) 1869 से 1875 तक प्रयाग के मिशन स्कूल में अध्यापन।
(2) 1885 में प्रयाग के सीo एo वीo स्कूल में संस्कृत का अध्यापन।
(3) 1888 में प्रयाग के कायस्थ पाठशाला इंटर कॉलेज में अध्यापक, किन्तु उग्र स्वभाव के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी। उसके बाद लेखन कार्य पर निर्भर रहे।
विशेष परिस्थिति :-
(1) पिता के निधन के बाद पैतृक व्यापार संभालने के नाम पर गृहकला का सामना किया।
(2) आर्थिक संकट के बावजूद हिम्मत से काम लिया और साहित्य के प्रति समर्पित रहे।
रचनात्मक सक्रियता :-
(1) भारतेन्दु हरिश्चंद्र की प्रेरणा से 1877 में हिंदी वर्द्धिनी सभा की ओर से ‘हिंदी प्रदीप’ नामक पत्र निकालना प्रारंभ किया, जिसे 33 वर्षों तक चलाया।
(2) 1881 में वेदों की युक्तिपूर्ण समीक्षा की।
(3) 1886 में लाला श्री निवास दास के ‘संयोगिता स्वयंवर’ की कठोर आलोचना की।
(4) जीवन के अंतिम दिनों में हिंदी शब्दकोश के संपादन के लिए श्यामसुंदर दास द्वारा काशी आमंत्रित।
रचनाएँ :-
उपन्यास :- रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान, गुप्त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा, हमारी घड़ी, सद्भव का अभाव।
नाटक :- पद्मावती, किरातार्जुनीय, वेणी संहार, शिशुपाल वध, नल दमयंती या दमयंती स्वयंवर, शिक्षादान, चन्द्रसेन, सीता वनवास, पतित पंचम, मेघनाद वध, कटटर सुम की एक नकल, वृहन्नला, इग्लैंडेशवरी और भारत जननी, भारतवर्ष और कलि, दो दूरदेशी, एक रोगी और एक वैध, रेल का विकट खेल, बालविवाह आदि।
प्रहसन :- जैसा काम वैसा परिणाम, नई रोशनी का विष, आचार विडंबन आदि।
निबंध :- लगभग 1000, जिनमें 100 से ऊपर महत्वपूर्ण (‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में संग्रह प्रकाशित)।
नोट :- बालकृष्ण भट्ट सामाजिक, साहित्यिक, नैतिक और राजनीतिक विषयों पर निबंध लिखते रहे।
नोट :- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबंधकार के रूप में उन्हें अंग्रेजी साहित्य के एडिसन और स्टील की श्रेणी में रखा है।

बालकृष्ण भट्ट के जीवन परिचय की कहानी

23 जून 1844 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में एक प्रतिभावान बालक ने जन्म लिया – नाम था बालकृष्ण भट्ट। उनके पिता बेनी प्रसाद भट्ट एक व्यापारी थे, और माँ पार्वती देवी एक सुसंस्कृत महिला थीं, जिन्होंने बालकृष्ण के मन में ज्ञान, भाषा और संस्कृति के बीज बोए। यही बीज आगे चलकर एक विशाल साहित्यिक वृक्ष बना।

बालकृष्ण भट्ट ने अपने जीवन की शुरुआत संस्कृत भाषा के गहन अध्ययन से की। बाद में वे प्रयाग के मिशन स्कूल में पढ़े और 1867 में एंट्रेंस परीक्षा पास की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें हिंदी, संस्कृत, अंग्रेज़ी और फारसी भाषाओं का भी गहरा ज्ञान था। वे केवल एक छात्र नहीं, बल्कि एक ऐसे विचारशील युवा थे जिनके भीतर समाज को देखने और बदलने की तीव्र भावना थी।

1869 से 1875 तक वे प्रयाग के मिशन स्कूल में अध्यापन करते रहे। फिर 1885 में सी.ए.वी. स्कूल में संस्कृत पढ़ाने लगे। लेकिन उनका जीवन संघर्षों से अछूता नहीं रहा। 1888 में जब वे कायस्थ पाठशाला इंटर कॉलेज में शिक्षक बने, तो उनके उग्र स्वभाव के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह लेखन और पत्रकारिता को समर्पित कर दिया।

एक समय ऐसा भी आया जब पिता के निधन के बाद उन्हें पारिवारिक व्यापार संभालने की जिम्मेदारी मिली, लेकिन इस काम में उनका मन नहीं लगा। गृहकलह का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने घर छोड़ दिया और आर्थिक संकटों के बीच भी साहित्य के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी।

उन्हें भारतेन्दु हरिश्चंद्र से साहित्यिक प्रेरणा मिली, और इसी प्रेरणा से उन्होंने 1877 में ‘हिंदी प्रदीप’ नामक पत्र की शुरुआत की, जिसे उन्होंने लगातार 33 वर्षों तक चलाया। यही नहीं, 1881 में उन्होंने वेदों की युक्तिपूर्ण समीक्षा की और 1886 में लाला श्रीनिवास दास के ‘संयोगिता स्वयंवर’ की कठोर आलोचना करके अपनी विचारशीलता का परिचय दिया।

लेखन में उनकी रुचि केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं थी। उन्होंने उपन्यास, नाटक, प्रहसन और निबंध के माध्यम से समाज, संस्कृति और राजनीति पर गहरी दृष्टि डाली। उनके उपन्यासों में ‘रहस्य कथा’, ‘नूतन ब्रह्मचारी’, ‘सौ अजान एक सुजान’, ‘गुप्त वैरी’, ‘रसातल यात्रा’, ‘हमारी घड़ी’ जैसी रचनाएँ शामिल हैं, जिनमें उन्होंने समाज की जटिलताओं और मानवीय संबंधों को बड़े सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।

नाटकों के माध्यम से उन्होंने ऐतिहासिक, पौराणिक और सामाजिक विषयों को जीवंत किया। ‘पद्मावती’, ‘किरातार्जुनीय’, ‘नल दमयंती’, ‘शिक्षादान’, ‘सीता वनवास’, ‘भारतवर्ष और कलि’, ‘रेल का विकट खेल’, ‘बालविवाह’ जैसे उनके नाटक न सिर्फ मनोरंजन करते थे, बल्कि समाज को दिशा देने का कार्य भी करते थे।

उन्होंने प्रहसन भी लिखे, जो व्यंग्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों को उजागर करते थे। ‘जैसा काम वैसा परिणाम’, ‘नई रोशनी का विष’, ‘आचार विडंबन’ जैसे उनके प्रहसनों में गहरी सामाजिक चेतना दिखाई देती है।

निबंध लेखन तो उनके व्यक्तित्व का सबसे मजबूत पक्ष था। उन्होंने करीब 1000 निबंध लिखे, जिनमें से 100 से अधिक अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये निबंध ‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में प्रकाशित भी हुए। उनके निबंध सामाजिक, साहित्यिक, नैतिक और राजनीतिक विषयों पर आधारित होते थे, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

उनके जीवन का एक विशेष प्रसंग यह भी है कि जब वे जीवन के अंतिम चरण में पहुँचे, तो श्याम सुंदर दास ने उन्हें काशी बुलाया ताकि वे हिंदी शब्दकोश के संपादन में सहायता कर सकें। यह सम्मान उनके साहित्यिक योगदान का प्रमाण था।

बालकृष्ण भट्ट का जीवन हमें यह सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में सच्चा समर्पण और समाज के लिए कुछ करने की इच्छा हो, तो हर मुश्किल पार की जा सकती है। वे न केवल एक लेखक थे, बल्कि एक युग निर्माता भी थे। उनका नाम भारतेन्दु युग के प्रमुख स्तंभों में आता है।

उनकी कहानी हर विद्यार्थी के लिए प्रेरणा है — संघर्षों से न घबराकर, उन्हें साहित्य और सेवा में बदल देने की कहानी। सचमुच, बालकृष्ण भट्ट का जीवन एक जीवंत पाठशाला है, जहाँ से हम संघर्ष, साहित्य और साहस — तीनों की शिक्षा ले सकते हैं।

1. किस लेखक ने बातचीत पर निबंध लिखा है
A) बालकृष्ण भट्ट
B) रामविलास शर्मा
C) हजारीप्रसाद द्विवेदी
D) भारतेंदु हरिश्चंद्र
2. बालकृष्ण भट्ट का जन्म कब हुआ
A) 23 जून 1844
B) 15 अगस्त 1857
C) 2 अक्टूबर 1869
D) 5 जनवरी 1830
3. बालकृष्ण भट्ट का निवास-स्थान कहाँ है
A) इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
B) वाराणसी
C) लखनऊ
D) दिल्ली
4. बालकृष्ण भट्ट के पिताजी का नाम क्या है
A) बेनी प्रसाद भट्ट (व्यापारी)
B) रामप्रसाद भट्ट
C) सीताराम भट्ट
D) गोपाल भट्ट
5. बालकृष्ण भट्ट की माताजी का नाम क्या है
A) पार्वती देवी (सुसंस्कृत महिला)
B) गीता देवी
C) लक्ष्मी देवी
D) सरस्वती देवी
6.बालकृष्ण भट्ट की भाषा कौन-कौन सी है
A) हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी
B) हिंदी, उर्दू, पंजाबी
C) संस्कृत, तमिल, तेलुगू
D) अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन
7. बालकृष्ण भट्ट पेशा से क्या-क्या थे
A) पत्रकार, नाटककार, उपन्यासकार, निबंधकार
B) शिक्षक, डॉक्टर, वकील
C) किसान, मजदूर
D) संगीतकार, चित्रकार
8. बालकृष्ण भट्ट किस युग के लेखक हैं
A) भारतेन्दु युग
B) आधुनिक युग
C) भक्ति युग
D) मध्यकालीन युग
9. बालकृष्ण भट्ट ने प्रारंभ में किस विषय का अध्ययन किया
A) संस्कृत
B) अंग्रेजी
C) गणित
D) इतिहास
10. बालकृष्ण भट्ट ने प्रयाग के मिशन स्कूल से एंट्रेस परीक्षा कब दी
A) 1865
B) 1867
C) 1870
D) 1880
11. बालकृष्ण भट्ट ने कब से कब तक प्रयाग के मिशन स्कूल में अध्यापन किया
A) 1869 से 1875
B) 1870 से 1880
C) 1860 से 1865
D) 1875 से 1885
12. बालकृष्ण भट्ट ने प्रयाग के सीo एo वीo स्कूल में संस्कृत का अध्यापन कब किया
A) 1880
B) 1885
C) 1890
D) 1895
13. बालकृष्ण भट्ट के साहित्य के क्षेत्र में क्या-क्या है
A) उपन्यास, नाटक, कविता, निबंध
B) विज्ञान, गणित, इतिहास
C) चित्रकला, संगीत
D) राजनीति, दर्शन
14. बालकृष्ण भट्ट किनकी की प्रेरणा से हिंदी वर्द्धिनी सभा की ओर से 1877 में हिंदी प्रदीप नामक पत्र निकालना प्रारंभ किया
A) बालकृष्ण भट्ट'
B) रामविलाश शर्मा'
C) हरिवंश राय बच्चन'
D) भारतेंदु हरिश्चंद्र
15. बालकृष्ण भट्ट ने किस पत्रिका का संपादन किया
A) 'प्रभा'
B) 'काव्यालंकार'
C) 'सरस्वती'
D) 'हिंदी प्रदीप'
16. नूतन ब्रह्मचारी के रचनाकार कौन हैं
A) बालकृष्ण भट्ट
B) रामविलाश शर्मा
C) हरिवंश राय बच्चन
D) मैथिलीशरण गुप्त
17. रेल का विकट खेल किसकी रचना है
A) मैथिलीशरण गुप्त
B) बालकृष्ण भट्ट
C) प्रेमचंद
D) जयशंकर प्रसाद
18. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने बालकृष्ण भट्ट को अंग्रेजी के किस निबंधकार की श्रेणी में रखा है
A) एडिसन और स्टील
B) शेक्सपियर और मिल्टन
C) चॉसर और डिकेंस
D) टॉलस्टॉय और डोस्टोएवस्की
19. बालकृष्ण भट्ट को आधुनिक हिंदी आलोचना का जन्मदाता किसने कहा
A) रामविलाश शर्मा
B) जयशंकर प्रसाद
C) रामधारी सिंह दिनकर
D) सूरदास
20. बालकृष्ण भट्ट को अध्ययनशील विद्वान और तीक्ष्ण बुद्धि का आलोचक किसने कहा
A) रामविलाश शर्मा
B) भारतेंदु हरिश्चंद्र
C) जयशंकर प्रसाद
D) मैथिलीशरण गुप्त
21. पद्मावती के रचनाकार कौन हैं
A) बालकृष्ण भट्ट
B) जयशंकर प्रसाद
C) मैथिलीशरण गुप्त
D) रामधारी सिंह दिनकर
22. 1886 में बालकृष्ण भट्ट ने किनके संयोगिता स्वयंवर की कठोर आलोचना की
A) लाला श्री निवास दास के
B) भारतेंदु हरिश्चंद्र के
C) रामचंद्र शुक्ल के
D) जयशंकर प्रसाद के
23. जैसा काम वैसा परिणाम प्रहसन किनकी रचना है
A) बालकृष्ण भट्ट
B) रामविलाश शर्मा
C) हरिवंश राय बच्चन
D) प्रेमचंद
24. बालकृष्ण भट्ट के निबंध लगभग कितने के आस-पास प्रकाशित हैं
A) 1000
B) 500
C) 200
D) 1500
25. रसातल यात्रा किस लेखक की रचना है
A) बालकृष्ण भट्ट
B) जयशंकर प्रसाद
C) मैथिलीशरण गुप्त
D) रामधारी सिंह दिनकर
26. भट्ट निबंधमाला कितने खंडों में प्रकाशित है
A) 2
B) 3
C) 1
D) 4

➤शब्द निधि/शब्दार्थ

1.वक्तृता          :-बोलने की कला,
2.पुलपिट         :-पायदान
3.पुण्याहवाचन :- धार्मिक कर्मकांड में मांगलिक श्लोक पढ़ना
4.नांदीपाठ       :-नाटक के प्रारंभ में मंगल पाठ
5.खामख्वा       :-बेमतलब, बर्बस
6.संलाप           :-हार्दिक बातचीत
7.संजीदगी       :-गंभीरता
8.बेकदर         :-सम्मानहीन
9.आभ्यंतरिक  :-हार्दिक, आंतरिक
10.निरस्त        :- बंद कर देना, स्थगित कर देना
11.फॉर्मेलिटी   :- औपचारिकता
12.लियाकत     :-योग्यता
13.हमचुनी दीगरे नेस्त    :-हम ही सब कुछ हैं दूसरा कुछ भी नहीं, एकोह द्वितीयो नास्ति
14.बिचवई    :-मध्यस्थता
15.चंडूखान   :-अफीम खानेवाले लोगों की मंडली के लिए सुरक्षित स्थान
16.दिलजोई   :- मनबहलाव
17.सारगर्भित :-जिसमें कुछ सार या तत्त्व हो
18.प्रपंचात्मक :-उलझा हुआ, पहेलीनुमा
19.दुर्घट         :- ऐसा कुछ जिसके घटित होने की आशा न हो
20.चमनिस्तान  :- हरे-भरे बागों का इलाका
21.कतरनी    :-कैंची
22.सोपान      :- सीढ़ी
23.बरकते हुए  :-बरतते हुए

छात्रों द्वारा पूछे जाने वाले संभावित प्रश्न:​

प्रश्न: बातचीत क्या है और इसका महत्त्व क्या है?

उत्तर: बातचीत दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाती है, मन का बोझ हल्का करती है और मानव जीवन को जीवंत बनाती है।

प्रश्न: बातचीत और भाषण (स्पीच) में क्या अंतर है?

उत्तर: बातचीत दो व्यक्तियों के बीच सहज रूप से होने वाला संवाद है, जबकि भाषण एक व्यक्ति द्वारा समूह के सामने औपचारिक रूप से दिया गया वक्तव्य होता है। बातचीत में पारस्परिकता होती है, जबकि भाषण में एकपक्षीय संप्रेषण होता है।

प्रश्न: बातचीत कैसे करें? बातचीत करने की कला क्या है?

उत्तर: बातचीत करते समय सामने वाले की बात ध्यान से सुनना, विनम्रता रखना, अनावश्यक विवाद से बचना और स्पष्ट शब्दों में बात करना आवश्यक होता है। यह कला अभ्यास, संयम और संवेदनशीलता से आती है।

प्रश्न: अच्छी बातचीत के गुण क्या हैं?

उत्तर: अच्छी बातचीत में विनम्रता, स्पष्टता, सुनने की क्षमता, संवेदनशीलता, तार्किकता और आत्म-संयम जैसे गुण होते हैं। ऐसी बातचीत से सकारात्मक संबंध बनते हैं।

प्रश्न: बातचीत से व्यक्तित्व का विकास कैसे होता है?

उत्तर: बातचीत से आत्मविश्वास बढ़ता है, विचार व्यक्त करने की क्षमता विकसित होती है और सामाजिक व्यवहार सुधरता है। इससे व्यक्ति का संप्रेषण कौशल और नेतृत्व क्षमता भी बढ़ती है।

प्रश्न: वाक्शक्ति क्या है और उसके बिना क्या होता?

उत्तर: वाक्शक्ति बोलने की क्षमता है, जिसके माध्यम से हम अपने विचार और भावनाएँ व्यक्त करते हैं। इसके बिना मनुष्य पशु समान हो जाता है, क्योंकि वह अपनी बात न कह पाकर अकेलापन और निराशा का अनुभव करता है।

प्रश्न: बातचीत में किस प्रकार का व्यवहार उचित होता है?

उत्तर: बातचीत करते समय शांत, संयमित और सम्मानपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। दूसरों की बात ध्यान से सुनना और कटु शब्दों से बचना उचित होता है।

प्रश्न: बेन जॉनसन और एडीसन के बातचीत को लेकर क्या विचार थे?

उत्तर: बेन जॉनसन का मानना था कि जब तक मनुष्य बोलता नहीं, तब तक उसके गुण-दोष का पता नहीं चलता। एडीसन का विचार था कि सही बातचीत केवल दो लोगों के बीच हो सकती है; अधिक लोगों में यह मज़ाक बन जाती है।

प्रश्न: बातचीत में विनम्रता का क्या महत्त्व है?

उत्तर: विनम्रता बातचीत का प्रमुख गुण है। यह दूसरों को सम्मान देती है, संवाद को सौहार्दपूर्ण बनाती है और रिश्तों को मजबूत करती है।

प्रश्न: लेखक ने ‘रामरमौवल’ का उदाहरण क्यों दिया है?

उत्तर: लेखक ने यह उदाहरण यह समझाने के लिए दिया है कि जब अधिक लोग बातचीत में शामिल हो जाते हैं, तो वह सार्थक संवाद न रहकर निरर्थक और बेमतलब की बातें बन जाती हैं।

प्रश्न: बातचीत से सामाजिक संबंध कैसे बनते हैं?

उत्तर: बातचीत लोगों को जोड़ती है, आपसी समझ और विश्वास बढ़ाती है। इससे मित्रता, सहयोग और पारिवारिक संबंध सुदृढ़ होते हैं।

प्रश्न: बातचीत के प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर: बातचीत के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं — औपचारिक (जैसे भाषण, इंटरव्यू) और अनौपचारिक (जैसे दोस्तों से बात, पारिवारिक चर्चा)।

प्रश्न: बातचीत करते समय किन बातों से बचना चाहिए?

उत्तर: बातचीत करते समय कटाक्ष, अपशब्द, झूठ, बड़बोलापन और दूसरों की बात न सुनने जैसी आदतों से बचना चाहिए।

प्रश्न: बच्चों में बातचीत की कला कैसे विकसित करें?

उत्तर: बच्चों को खुले माहौल में अपनी बात कहने के अवसर देना, उनकी बातों को ध्यान से सुनना और संवाद में प्रोत्साहित करना इस कला को विकसित करने में सहायक होता है।

प्रश्न: बातचीत से जुड़ी 10 पंक्तियाँ या निबंध कैसे लिखें?

उत्तर: निबंध में बातचीत की परिभाषा, महत्त्व, प्रकार, उदाहरण, बातचीत की कला और सामाजिक भूमिका को क्रमवार, सरल भाषा में 10 बिंदुओं में लिखा जा सकता है।

प्रश्न: स्पीच कैसे होता है?

उत्तर: स्पीच एक व्यक्ति द्वारा श्रोताओं के समूह के सामने दिए जाने वाला औपचारिक वक्तव्य होता है, जिसमें विषय की जानकारी, उद्देश्य, तर्क और भावनात्मक अपील होती है।

प्रश्न: भाषण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: भाषण किसी विषय पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए दिए गए विचारों का सिलसिलेवार और प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण है। इसका उद्देश्य जानकारी देना, प्रेरित करना या समझाना होता है।

प्रश्न: बातचीत का दूसरा अर्थ क्या होता है?

उत्तर: बातचीत का दूसरा अर्थ है — विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान, जो केवल बोलचाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और मानसिक क्रिया भी है।

प्रश्न: भाषण के पहले क्या बोलते हैं?

उत्तर: भाषण शुरू करने से पहले श्रोताओं का अभिवादन (जैसे "सुप्रभात", "आदरणीय अतिथिगण", "मंच पर उपस्थित सभी महानुभावों") किया जाता है और फिर विषय प्रवेश किया जाता है।

प्रश्न: बातचीत से क्या आशय है?

उत्तर: बातचीत से आशय है — दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों, भावनाओं या जानकारियों का लेन-देन। यह जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

प्रश्न: बातचीत के कितने प्रकार होते हैं?

उत्तर: बातचीत के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं — औपचारिक बातचीत और अनौपचारिक बातचीत।

प्रश्न: बातचीत का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: बातचीत का उद्देश्य है — विचारों का आदान-प्रदान, भावनाओं को व्यक्त करना, सामाजिक संबंध बनाना और समस्याओं का समाधान खोजना।

प्रश्न: भाषण के कितने प्रकार होते हैं?

उत्तर: भाषण के कई प्रकार होते हैं — प्रेरणादायक भाषण, जानकारी देने वाला भाषण, मनोरंजन हेतु भाषण, राजनीतिक भाषण आदि।

प्रश्न: बातचीत करना भाषा का कौन सा रूप है?

उत्तर: बातचीत मौखिक संप्रेषण का एक सजीव रूप है, जो भाषा का प्रयोग संवाद के रूप में करता है।

प्रश्न: स्पीच की स्टार्टिंग कैसे करें?

उत्तर: स्पीच की शुरुआत सम्मानजनक अभिवादन, विषय की भूमिका और श्रोताओं के प्रति आभार के साथ की जाती है, जिससे श्रोताओं का ध्यान आकर्षित हो।

प्रश्न: स्पीच के कितने पार्ट होते हैं?

उत्तर: स्पीच के मुख्यतः तीन भाग होते हैं — भूमिका (Introduction), मुख्य विषयवस्तु (Body), और निष्कर्ष (Conclusion)।

पाठ से जुड़े प्रश्नों का उत्तर

प्रश्न 1: अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता ?

यदि मनुष्य में वाक्शक्ति न होती, तो उसकी स्थिति पशुओं जैसी हो जाती। वह अपनी बात किसी से कह नहीं पाता और अपने मन की सारी बातें दबाकर अकेलेपन में जीता। ऐसा व्यक्ति समाज से कट जाता और उसे एक कोने में बिठा दिया जाता। पूरी दुनिया जैसे गूंगी हो जाती और मनुष्य जीवन अपनी मूल पहचान खो बैठता।

प्रश्न 2: बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडीसन के क्या विचार हैं ?

एडिसन के अनुसार असली बातचीत केवल दो लोगों के बीच ही संभव है। तीसरा व्यक्ति आते ही बातचीत की गंभीरता समाप्त हो जाती है और मज़ाक या अनगंभीर बातें होने लगती हैं। वहीं, बेन जॉनसन का कहना है कि जब तक मनुष्य बोलता नहीं, तब तक उसके गुण और दोष नहीं पहचाने जा सकते। असली पहचान बोलने से ही होती है।

प्रश्न 3: 'आर्ट ऑफ कनवरसेशन' क्या है ?

‘आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ का अर्थ है बातचीत को एक कला के रूप में देखना। यूरोप में इसे समझदारी, तर्क और सच्चाई से जोड़ा जाता है। सुधगोष्ठियों में लोग एक-दूसरे को ध्यान से सुनते हैं, तर्क के साथ बोलते हैं और बहस की बजाय सच्चाई तक पहुँचने की कोशिश करते हैं। यह बातचीत का परिष्कृत और गरिमामयी रूप है।

प्रश्न 4: मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है ? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है ?

लेखक के अनुसार, बातचीत का उत्तम तरीका यह है कि व्यक्ति अपनी जिह्वा पर नियंत्रण रखे और हर समय बोलने की बजाय सोच-समझकर संवाद करे। अगर ऐसा किया जाए, तो व्यक्ति गुस्से वाले शत्रु को भी मित्र बना सकता है और अपने भीतर एक शांत, विवेकपूर्ण संसार की रचना कर सकता है, जो आत्म-चिंतन और आत्मसंवाद पर आधारित हो।

प्रश्न 5 (क): व्याख्या करें — “हमारी भीतरी मनोवृत्ति प्रतिक्षण नए-नए रंग दिखाया करती है...”

यह कथन बताता है कि मनुष्य का मन हर क्षण बदलता रहता है और उसकी बातचीत उसी के अनुसार होती है। यह मन एक ऐसा आईना है जिसमें कोई भी सूरत देखी जा सकती है — अर्थात् हम अपने मन के अनुसार अपनी सोच और बोलचाल बदल सकते हैं, जो हमारे व्यक्तित्व की झलक है।

प्रश्न 5 (ख): व्याख्या करें — “सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता।”

इस कथन का अर्थ है कि जब तक कोई व्यक्ति मूक रहता है, तब तक हम उसके बारे में नहीं जान सकते। उसके गुण, दोष, सोच और व्यवहार का पता तभी चलता है जब वह बोलता है। बोलने की प्रक्रिया से ही उसकी असली पहचान सामने आती है।

प्रश्न 6: इस निबंध की क्या विशेषताएँ हैं ?

इस निबंध की प्रमुख विशेषता यह है कि यह बातचीत को केवल एक सामाजिक प्रक्रिया नहीं बल्कि मानवीय ज़रूरत और आत्म-अनुशासन से जोड़ता है। इसमें बातचीत के अनेक स्तर, मनोवैज्ञानिक गहराई, संवाद की नैतिकता और भाषा पर नियंत्रण जैसी बातों को सहज ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

प्रश्न 7: स्पीच वक्तृता और बातचीत में क्या अंतर है ?

स्पीच वक्तृता औपचारिक होती है, जिसका उद्देश्य सामने वाले में जोश और उत्साह भरना होता है, जबकि बातचीत (संलाप) अनौपचारिक होती है और मन की बातों को साझा करने का साधन होती है। स्पीच में करतलध्वनि की अपेक्षा होती है, जबकि बातचीत आत्मिक सन्तुलन और समझदारी का माध्यम है।

प्रश्न 8: लेखक ने बातचीत में स्पीच की संजीदगी को बेकदर धक्के खाते फिरती है क्यों कहा ?

लेखक का मानना है कि मनुष्य के जीवन में बातचीत भोजन, पानी और चलने की तरह ज़रूरी है। यह इतनी सहज और आत्मीय होती है कि इसके सामने स्पीच की गंभीरता बेमानी लगती है। यही कारण है कि लेखक ने स्पीच की संजीदगी को बातचीत के सामने बेकदर धक्के खाते फिरती संज्ञा दी है।

प्रश्न 9: लेखक के अनुसार हमें बातचीत की आवश्यकता क्यों है ?

लेखक के अनुसार, बातचीत मनुष्य की मूलभूत ज़रूरतों में से एक है। यह न केवल विचारों को साझा करने का माध्यम है बल्कि मन का बोझ हल्का करने का तरीका भी है। बातचीत से व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित रहता है और सामाजिक रूप से जुड़ा रहता है।

प्रश्न 10: रॉबिन्सन क्रूसा कौन था ?

रॉबिन्सन क्रूसो एक ऐसा पात्र है जिसने 16 वर्षों तक किसी इंसान की आवाज़ नहीं सुनी थी। जब उसने पहली बार किसी मनुष्य की आवाज़ (फ्राइडे) सुनी, तो उसे ऐसा लगा जैसे वह फिर से मनुष्य बन गया हो। यह उदाहरण बताता है कि संवाद और आवाज़ मनुष्यता की पहचान है।

प्रश्न 11: बातचीत के विषय में बेन जॉनसन के मत क्या थे ?

बेन जॉनसन का मत था कि जब तक व्यक्ति बोलता नहीं, तब तक उसके गुण और दोष उजागर नहीं होते। बोलना ही व्यक्ति की असली पहचान बनाता है। उन्होंने इस विचार को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया कि संवाद ही चरित्र का दर्पण है।

प्रश्न 12: 'रामरमौवल' किसे कहा गया ?

'रामरमौवल' उस बातचीत को कहा गया है जो चार या उससे अधिक लोगों के बीच हो और जिसमें कोई गंभीरता या उद्देश्य न हो। एडिसन के अनुसार, दो लोगों की बातचीत तक ही वह सार्थक रहती है, उसके बाद वह केवल बेमतलब की बातों में बदल जाती है।

📘 Class 10 Hindi - Chapter 1

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